काश मैं होती 'मोती बेगम','मिर्ज़ा ग़ालिब' की ज़िंदगी की - वो सिसकती हुई ख़ामोशी ! काश मैं होती 'मोती बेगम','मिर्ज़ा ग़ालिब' की ज़िंदगी की - वो सिसकती हुई ख़ामोशी !
लोगो का मनोरंजन करते रहे और, लोग बस यही कहते, बजाओ ताली बजाओ ताली ! लोगो का मनोरंजन करते रहे और, लोग बस यही कहते, बजाओ ताली बजाओ ताली !
वो आँखों में होता है जो निगाहों में होता नहीं जो हो इश्क़ में उसे फिर कोई होश होता नहीं वो आँखों में होता है जो निगाहों में होता नहीं जो हो इश्क़ में उसे फिर कोई होश होत...
वो तिरंगे के रंगो को अलग अलग दिखाते हैं. वो तिरंगे के रंगो को अलग अलग दिखाते हैं.
बस बदले नहीं कुछ भी वही दिन हों वही रातें बस बदले नहीं कुछ भी वही दिन हों वही रातें
तू चाँद से सौ मरतबा है खूबसूरत!मैं सौ दफ़ा फिर कह दूँ मेरा बस चले तो। तू चाँद से सौ मरतबा है खूबसूरत!मैं सौ दफ़ा फिर कह दूँ मेरा बस चले तो।